हां यह सही है कि इंसान अपना विकास प्रकृति को नष्ट करके कर रहा है किंतु इस्वर एक ऐसी पहेली है जिसे कोई नही सुलझा सकता क्योंकि इस्वर वेवशो एयर असहायों के दुख दर्द को भी नही जानता और अमीरों और अत्याचारियों के अत्याचार को भी ।
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हां यह सही है कि इंसान अपना विकास प्रकृति को नष्ट करके कर रहा है किंतु इस्वर एक ऐसी पहेली है जिसे कोई नही सुलझा सकता क्योंकि इस्वर वेवशो एयर असहायों के दुख दर्द को भी नही जानता और अमीरों और अत्याचारियों के अत्याचार को भी ।