दैनिक जीवन में घटित त्रासदी पर एक मूकदर्शक की भांति कुछ कर ना सकने की विवशता की अनुभूति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
दैनिक जीवन में घटित त्रासदी पर एक मूकदर्शक की भांति कुछ कर ना सकने की विवशता की अनुभूति को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।