आपके कथन से मैं सहमत हूं। आजकल डॉक्टर का व्यवसाय केवल धन कमाने के उद्देश्य से अपनाया जाता है जिसमें प्रत्यक्ष सेवा भाव की कमी होती है। डॉक्टर सीट पाने के लिए लाखों रुपए के वारे न्यारे किए जाते हैं। इस प्रकार डॉक्टर बने लोगों से सद्भावना एवं सेवा भाव के उम्मीद कैसे की जा सकती है। जिनका लक्ष्य किसी भी तरह मरीज को धोखे में रखकर पैसा कमाना हो। आजकल तो मरीज को फंसा कर हॉस्पिटल में लाने पर निजी अस्पतालों द्वारा कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टरों को दवाई कंपनियों एवं दवा विक्रेताओं से कमीशन हासिल होता है । सरकारी डॉक्टर N P A ना लेकर सरकार की सेवा के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल में सेवाएं देकर तगड़ी फीस वसूल करते हैं। इसके अलावा कुछ कुत्सित मनोवृत्ति वाले डॉक्टर मरीजों के अंग निकाल कर उसे बेचने वाले गिरोहों के साथ संलग्न पाए गए हैं।
आपके कथन से मैं सहमत हूं। आजकल डॉक्टर का व्यवसाय केवल धन कमाने के उद्देश्य से अपनाया जाता है जिसमें प्रत्यक्ष सेवा भाव की कमी होती है। डॉक्टर सीट पाने के लिए लाखों रुपए के वारे न्यारे किए जाते हैं। इस प्रकार डॉक्टर बने लोगों से सद्भावना एवं सेवा भाव के उम्मीद कैसे की जा सकती है। जिनका लक्ष्य किसी भी तरह मरीज को धोखे में रखकर पैसा कमाना हो। आजकल तो मरीज को फंसा कर हॉस्पिटल में लाने पर निजी अस्पतालों द्वारा कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टरों को दवाई कंपनियों एवं दवा विक्रेताओं से कमीशन हासिल होता है । सरकारी डॉक्टर N P A ना लेकर सरकार की सेवा के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल में सेवाएं देकर तगड़ी फीस वसूल करते हैं। इसके अलावा कुछ कुत्सित मनोवृत्ति वाले डॉक्टर मरीजों के अंग निकाल कर उसे बेचने वाले गिरोहों के साथ संलग्न पाए गए हैं।