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तेरी यादों के सहारे अब ज़िंदगी गुजारते है, तुझे सोच-सोच कर रोज जीते हैं, मरते हैं , ख्व़ाबों और ख़यालों में तुम आते जाते रहते हो , मेरी ज़िंदगी के खुश़गवार लम्ह़ों को जगा जाते हो , तुम्हारे साथ गुज़ारी ज़िंदगी , तब एहसास -ए-जन्ऩत से कम नही थी मुझमें , तुम बिन पामाल बनी ज़िंदगी , अब बाइस -ए -दर्दो अलम़ बनी है मुझमें , श़ुक्रिया !

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