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वोट सफल रहा मैम 79.
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना मैम, एक पंक्ति पढ़कर इस रचना के प्रति अनायास ही एक विशेष आकर्षण महसूस हुआ…
कोई बोल दे हसी में भी अगर.
“तुम्हारी नहीं मेरी माँ है “
कैसे आँख मेरी भर आती थी…
बहुत ही गहरे भावों से बनी सुंदर रचना। शुभकामनाएँ मैम???
.
धृष्टता को क्षमा कीजिएगा, “दिव्य” की जगह पर गलती से शायद “अदिव्य” टाइप हो गया होगा। या फिर अदिव्य ही सही है… एक बार देख लीजिएगा। कृपया अन्यथा न लें, यह एक शंका मात्र है। सादर???

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11 Nov 2018 10:54 PM

अमित जी, तहे दिल से आभार ?
सच में आज भी कोई कह दे तुम्हारी नहीं मेरी मां है तो अाज भी आंखें नम हो जाती हैं ??

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