Phoolchandra Rajak
Author
14 Mar 2021 06:23 PM
बहुत बहुत आभार आपका जी आपने बड़े सुंदर ढंग से व्याख्या की है।
आपके कथन से मैं सहमत हूं। महिला दिवस मनाना महज औपचारिकता बन रह गया है। कुछ गोष्ठीयाँ आयोजित कर तथा कुछ समारोह के माध्यम से चुनिंदा शीर्ष की महिलाओं को सम्मानित कर महिला दिवस मनाने की इतिश्री कर ली जाती है। दरअसल गरीब महिलाओं की स्थिति में अब तक कोई सुधार नहीं आया है। शहरी क्षेत्रों में कामगार महिलाओं की महंगाई से जूझते हुए बद से बदतर स्थिति हो रही है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में कार्यरत खेतिहर मजदूर महिलाओं का शोषण किया जाता रहा है। वे अभी तक अपनी मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं।
वोट बैंक की राजनीति के चलते महिला उत्थान का मुद्दा केवल भाषण एवं घोषणा पत्र में झूठे वादों तक सीमित रह गए। इस विषय में कोई ठोस कदम उठाए नहीं गए हैं। महिलाओं की दैनिक मजदूरी पुरुषों से हमेशा कम रखी गई है जबकि उन्हें समान रूप से श्रम करना पड़ता है।
इसके अलावा गरीब महिलाओं पर परिवार संभालने का उत्तरदायित्व हमेशा बना रहता है।
केवल शासन व्यवस्था पर निर्भर न रहकर समाज के हर एक वर्ग को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा और हर स्थिति में गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत रहना पड़ेगा। तभी इस प्रकार महिला दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी।
धन्यवाद !