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3 Sep 2016 10:16 PM

निर्मला जी ये गज़ल का शीर्षक जब से पढ़ा हूँ …..अब तक वही गुनगुना रहा हूँ

आपकी ये गज़ल शायद पहले भी पढी थीं

मुझे बहुत पसंद आई
धन्यवाद !!

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