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मां शारदे को नमन, ‘साहित्यपीडिया हिंदी’ मंच के सम्माननीय संस्थापक, संचालक एवं सम्मानित सदस्यों को प्रणाम ?। मंच के समस्त पदाधिकारी गण एवं माननीय निर्णायक मंडल का आभार। सभी आदरणीय रचनाकारों को उज्जवल भविष्य हेतु अशेष शुभकामनाएं, पुरस्कार से उत्साहवर्धन तो होता है, लेकिन बड़े पटल पर रचना प्रकाशित होना गर्व का विषय है, उससे बड़ी बात मां हिंदी व साहित्य की अंत:करण से सेवा, साधना ?।

“सभी सुविचारों का स्वागत है”

क्या कहे, कितना कहे, कैसे कहे, कब तक कहे,
ध्यान धरकर इन सभी को, हर कलम कहती रहे।
शब्द चाहे वक्र हों, हर शब्द में संस्कार हो,
अग्नि भी प्रतिशोध की कोई कलम से ना बहे !!
है नहीं आसान भी, यह साधना साहित्य की,
किन्तु दुष्कर भी कहाँ? यह कलम चलती नित्य ही !
‘शर’ न उगले लेखनी- निज ही प्रयोजन के लिए,
भावना सबकी समझ, हर प्राज्ञ जन लिखता रहे !!
@नवीन जोशी ‘नवल’

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