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आपकी प्रस्तुति को मैंने इस प्रकार पेश किया है :
कितना मुश्किल है कुछ बयाँँ करना,
दिल के जज़्बात ज़ुबाँ पर लाना ,
चोरी चोरी नजरों से क्यों ये इश्क़ लड़ाना ,
श़िद्दत – ए – मोहब्ब़त में इज़हार से क्या घबराना ,

श़ुक्रिया !

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