Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

सांसों के तार पर धड़कनों की ताल पर गूंजता है हृदय मेंं तेरे प्रेम का संगीत।
तुझसे जुदा कैसे रख पाऊंगी खुद को एक पल भी मैं , बसे रहो हृदय मेंं मेरे मनमीत।
श़ुक्रिया ! ?
आपकी प्रस्तुति को वोट कर दिया है !
कृपया मेरी प्रस्तुति “प्रेम” का अवलोकन कर अपना मत प्रस्तुत करें !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...