मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया , हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया , बर्बादियों का सोग़ मनाना फिज़ूल था , बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया , श़ुक्रिया !
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shukriya ji Shyam Sundar Subramanian ji
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ,
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया ,
बर्बादियों का सोग़ मनाना फिज़ूल था ,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया ,
श़ुक्रिया !