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11 Feb 2021 12:54 PM

हमारे विकास के सपनों ने ना जाने कितने मासूमों को अकाल काल के गाल तक पहुंचा दिया है, आपकी रचना में बहुत कुछ परिलक्षित हो रहा है,इंन्ही आपदाओं पर मैंने भी कुछ कहने का प्रयास किया है, जो आज ही उपलब्ध है, गौर कीजियेगा कहीं कोई चूक तो नहीं रह गई हो,सादर अभिवादन।

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11 Feb 2021 01:48 PM

बहुत आभार आदरणीय । मैंने आपकी प्रस्तुति पढ़ी। प्रतिक्रिया आपकी रचना में देखें।

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