हमारे विकास के सपनों ने ना जाने कितने मासूमों को अकाल काल के गाल तक पहुंचा दिया है, आपकी रचना में बहुत कुछ परिलक्षित हो रहा है,इंन्ही आपदाओं पर मैंने भी कुछ कहने का प्रयास किया है, जो आज ही उपलब्ध है, गौर कीजियेगा कहीं कोई चूक तो नहीं रह गई हो,सादर अभिवादन।
हमारे विकास के सपनों ने ना जाने कितने मासूमों को अकाल काल के गाल तक पहुंचा दिया है, आपकी रचना में बहुत कुछ परिलक्षित हो रहा है,इंन्ही आपदाओं पर मैंने भी कुछ कहने का प्रयास किया है, जो आज ही उपलब्ध है, गौर कीजियेगा कहीं कोई चूक तो नहीं रह गई हो,सादर अभिवादन।