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विरह वेदना भी नितांत आवश्यक है प्रेमातुल हृदय के स्थायित्व सम्मिलन हेतु। बेहतरीन शब्द और मनमोहक सम्प्रेषण है कवि महोदय।

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आभार भैया

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