बच्चों को इंगित करके मां बाप को उनके पालन पोषण करने में उनको दुलार करने में मिले आनन्द से तृप्ति मिलती है वह अविश्वमर्णिय है, हां यदि वही संतान बाद में कष्ट का कारण बन जाए तो घनघोर नरक का अहसास भी करा सकती है, धुंधकारी और गौकर्ण,आत्मदेव और धुंधली की कथा यही बताती है।
बच्चों को इंगित करके मां बाप को उनके पालन पोषण करने में उनको दुलार करने में मिले आनन्द से तृप्ति मिलती है वह अविश्वमर्णिय है, हां यदि वही संतान बाद में कष्ट का कारण बन जाए तो घनघोर नरक का अहसास भी करा सकती है, धुंधकारी और गौकर्ण,आत्मदेव और धुंधली की कथा यही बताती है।