Ahtesham Ahmad
Author
5 Feb 2021 03:08 PM
जी। कर दिया वोट।
बहुत खूब, “तेरे मुर्दा ईश्क़ को क़ब्र में मिटटी कैसे सरे आम दूँ।” सुंदर?, मेरा वोट स्वीकार करें। कृपया मेरी रचना ‘प्रेम’ का अवलोकन कर कृतार्थ करें, आपका वोट अपेक्षित ?