ये नज़र और नज़रिए का फर्क होता है , सामने हीरा पड़ा होता है जिसे इंसां ठोकर मार कर गुजर जाता है , पारखी का नज़रिया उसी हीरे को तराश़ कर अपनी किस्मत सँवार लेता है ,
श़ुक्रिया !
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जी।
ये नज़र और नज़रिए का फर्क होता है ,
सामने हीरा पड़ा होता है जिसे इंसां ठोकर मार कर गुजर जाता है ,
पारखी का नज़रिया उसी हीरे को तराश़ कर अपनी किस्मत सँवार लेता है ,
श़ुक्रिया !