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दरअसल समाज में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जिनमें स्वयं की उन्नति की सामर्थ्य नहीं होती वे अन्य लोगों की उन्नति से सदैव ईर्ष्या करते हैं ,
और उन्नति करने वालों की राह में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश में लगे रहते हैं , तथा उन्हें नीचा दिखाने के नित नये षड्यंत्र रचते रहते हैं।
ऐसे तत्व अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए लोगों को भड़का कर द्वेष पूर्ण भावना से उन्नति पर अग्रसर लोगों को हानि पहुंचाने का प्रयास करते रहते हैं , और जाति ,धर्म एवं संप्रदाय को आधार बनाकर कुत्सित राजनीति का कारण बनते हैं । ऐसे तत्व दंगा भड़का कर दूसरों को हानि पहुंचा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वर्तमान में ऐसे तत्वों की समाज में बहुतायत है। इन पर सद्भावना एवं प्यार से समझाने का कोई असर नहीं होता है।
ये कठोर कार्रवाई कर लाठी की भाषा ही समझते हैं। ये कुत्सित मंतव्य वाले छद्मबेशी तत्व निरीह जनता को मोहरा बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं। ऐसे तत्वों को उजागर कर उन्हें दंडित करने से ही शांति स्थापित की जा सकती है। अन्यथा हमें इस त्रासदी को भोगना पड़ेगा।

धन्यवाद !

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