Sandeep Gour Rajput
Author
11 Jan 2021 01:58 PM
बहुत बहुत शुक्रिया जी आपका , बस कोशिश करते है जी हम तो
भई, आपकी लेखनी में तो मानवीय संवेदनाओं का प्रचुर भंडार है,हम समाज में यह संदेश देने में कामयाब हो जाएं तो बहुत कुछ परिवर्तन नजर आ सकता है, ऐसे हाल में जब संवेदनाएं सिर्फ अपनों तक ही सिमट गई है! बहुत सुंदर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति है!