अहम बोध से ऊपर उठना, शीश झुका कर इसको पाना, ये होता मन्नत का धागा,सांसों का स्पंदन है। बहुत ही उम्दा। बधाई
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अहम बोध से ऊपर उठना, शीश झुका कर इसको पाना, ये होता मन्नत का धागा,सांसों का स्पंदन है। बहुत ही उम्दा। बधाई