अरविन्द व्यास
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9 Jan 2021 11:35 PM
धन्यवाद जी
धन्यवाद जी
प्रकृति के आंचल में रहने का प्रेम भाव एवं उसके प्रति बरती जा रही उदासीनता एवं उपेक्षा को दर्शाती है यह रचना।सच को सबके सम्मुख प्रस्तुत किया गया है। सादर अभिवादन श्रीमान।