यदि विपक्ष अनैतिक गतिविधियों में संलग्न हो , तो उसका साथ कैसे दिया जा सकता है। यदि विपक्ष मुद्दों पर राजनीति करने के बजाए वोटों की राजनीति करने पर उतारू हो कर सड़कों पर आकर राजनीति करने लगे तो उसका समर्थन कैसे किया जा सकता है। इस तरह की राजनीति विपक्ष की कमजोरी को परिलक्षित करती है। विपक्ष को आत्म मंथन कर स्वयं को मजबूत बनाना पड़ेगा और सड़क की राजनीति की अपेक्षा संसद में मुद्दों को उठाकर जनता का विश्वास जीतना होगा। दरअसल कमजोर विपक्ष की वजह से सत्ता पक्ष निरंकुश हो गया है और कमजोर विपक्ष संसद में मूकदर्शक बनकर रह गया है। जब तक विपक्ष संगठित होकर शासन का सामना नहीं करता तब तक यह स्थिति बनी रहेगी। और निरंकुश शासन को भोगने के लिए निरीह जनता को बाध्य होना पड़ेगा ।
यदि विपक्ष अनैतिक गतिविधियों में संलग्न हो , तो उसका साथ कैसे दिया जा सकता है। यदि विपक्ष मुद्दों पर राजनीति करने के बजाए वोटों की राजनीति करने पर उतारू हो कर सड़कों पर आकर राजनीति करने लगे तो उसका समर्थन कैसे किया जा सकता है। इस तरह की राजनीति विपक्ष की कमजोरी को परिलक्षित करती है। विपक्ष को आत्म मंथन कर स्वयं को मजबूत बनाना पड़ेगा और सड़क की राजनीति की अपेक्षा संसद में मुद्दों को उठाकर जनता का विश्वास जीतना होगा। दरअसल कमजोर विपक्ष की वजह से सत्ता पक्ष निरंकुश हो गया है और कमजोर विपक्ष संसद में मूकदर्शक बनकर रह गया है। जब तक विपक्ष संगठित होकर शासन का सामना नहीं करता तब तक यह स्थिति बनी रहेगी। और निरंकुश शासन को भोगने के लिए निरीह जनता को बाध्य होना पड़ेगा ।