मधुसूदन जी आपकी बेबाकी मन को भा गई । अच्छा लगा । आजकल हर जगह प्रतिस्पर्धा है , जोड़ तोड़ है ।
अपना हित साधने के लिए भांति भांति के उपाय किए जाते हैं ।उपायी आगे , अच्छे सच्चे पीछे । ये दुनिया है भाई। बहरहाल आप अच्छी रचनाओं को वोट करें। कुछ तो निष्पक्ष और अच्छा हो। बेबाक विचार हेतु बधाई।
मधुसूदन जी आपकी बेबाकी मन को भा गई । अच्छा लगा । आजकल हर जगह प्रतिस्पर्धा है , जोड़ तोड़ है ।
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