श्यामल रजनी थपकी करती । निविड़ निशा के कलुषित तम में।भोर प्रात की किरण सुनहरी। नित नूतन नव नव रंग भरती । रीता जी बहुत सुंदर सृजन। कोरोना पर मेरी कविता भी अवलोकित करें । धन्यवाद।
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श्यामल रजनी थपकी करती । निविड़ निशा के कलुषित तम में।भोर प्रात की किरण सुनहरी।
नित नूतन नव नव रंग भरती ।
रीता जी बहुत सुंदर सृजन। कोरोना पर मेरी कविता भी अवलोकित करें । धन्यवाद।