अमरेश मिश्र 'सरल'
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28 Dec 2020 12:01 PM
आभार आदरणीय
तेरे नहीं हो पाए हम!यह कसक अधूरी है,क्या वह अपने हो पाए! शायद कोई कमी रह गई हो, आपसी समझ में या फिर मिलन ही भाग्य में न हो? जो भी हो आगे बढ़ने से क्षतिपूर्ति हो जाया करती है! शुभकामनाएं।