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27 Dec 2020 02:09 AM

बहुत ही उम्दा आपने लिखा है??? समसामयिक एवं वास्तविक है.. ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी और मेरी पंक्तिया एक ही कविता के दो भाग हैं? जहाँ मैंने इसकी भयावह को उजागर किया वहीं आपने इसके अगले क्रम में घटित होने वाले ईश्वर रूपी इंसान की व्याख्या की। वोट कबूल कीजिएगा?

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अनेक धन्यवाद ?

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