किसान की अहमियत और उसके फजीहत का यह दौर आजकल लोगों में चर्चा का मुख्य मुद्दा है, देश दो धाराओं में विभक्त नजर आ रहा है, एक किसान की बदहाली का समर्थन करते हैं दूसरी ओर किसान उनके लिए ब्लैक मेलर है जो स्वयं को अन्नदाता घोषित करके हम पर अहसान जता रहा है,वे किसानों की लानत मलामत करने में जुटे हैं और तब स्थिति और भी ज्यादा दुराग्रही हो गई है जब सरकार में बैठे हमारे मुखिया ही उन्हें भटका हुआ, भ्रमित और गलत हाथों में खेलने वाले स्थापित करने में लगे हुए हैं! असहनीय है।
किसान की अहमियत और उसके फजीहत का यह दौर आजकल लोगों में चर्चा का मुख्य मुद्दा है, देश दो धाराओं में विभक्त नजर आ रहा है, एक किसान की बदहाली का समर्थन करते हैं दूसरी ओर किसान उनके लिए ब्लैक मेलर है जो स्वयं को अन्नदाता घोषित करके हम पर अहसान जता रहा है,वे किसानों की लानत मलामत करने में जुटे हैं और तब स्थिति और भी ज्यादा दुराग्रही हो गई है जब सरकार में बैठे हमारे मुखिया ही उन्हें भटका हुआ, भ्रमित और गलत हाथों में खेलने वाले स्थापित करने में लगे हुए हैं! असहनीय है।