कोरोना काल की समीक्षा जिसमें वह हमें बहुत कुछ सीखा गया है कि ब्याख्या का भाव बोध है, से लगता है इसका आना सकारात्मक है, शायद! लेकिन मनुष्य के साथ समय अनुसार जो भी घटित होता है वह कुछ न कुछ सीख तो देता ही है और इसे भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया में ही समझना बेहतर रहेगा, असहमति के लिए क्षमा सहित सादर अभिवादन।
कोरोना काल की समीक्षा जिसमें वह हमें बहुत कुछ सीखा गया है कि ब्याख्या का भाव बोध है, से लगता है इसका आना सकारात्मक है, शायद! लेकिन मनुष्य के साथ समय अनुसार जो भी घटित होता है वह कुछ न कुछ सीख तो देता ही है और इसे भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया में ही समझना बेहतर रहेगा, असहमति के लिए क्षमा सहित सादर अभिवादन।