सोनी साहब जिंदगी बहुत नाजुक और महत्वाकांक्षी हो गयी है । हर कोई सिकन्दर होना चाहता है किन्तु कोई अरस्तू नही होना चाहता ।
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जी यह शाश्वत सत्य है । किन्तु अपनों की विमुखता और स्वार्थ भी पीड़ादायक ही है।
सोनी साहब जिंदगी बहुत नाजुक और महत्वाकांक्षी हो गयी है । हर कोई सिकन्दर होना चाहता है किन्तु कोई अरस्तू नही होना चाहता ।