तुम्हारे खत में नया इक सलाम किसका था ,
न था रक़ीब तो आखिर वो नाम किसका था ,
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा ,
म़ुकीम कौन हुआ है म़ुकाम किसका था ,
वफ़ा करेंगे निब़ाहेगें बात मानेंगे ,
तुम्हें भी याद नहीं ये क़लाम़ किसका था ,
गुजर गया वह ज़माना कहेंं तो किससे कहें,
ख़याल मेरे दिल को सुबहो शाम किसका था ,
तुम्हारे खत में नया इक सलाम किसका था ,
न था रक़ीब तो आखिर वो नाम किसका था ,
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा ,
म़ुकीम कौन हुआ है म़ुकाम किसका था ,
वफ़ा करेंगे निब़ाहेगें बात मानेंगे ,
तुम्हें भी याद नहीं ये क़लाम़ किसका था ,
गुजर गया वह ज़माना कहेंं तो किससे कहें,
ख़याल मेरे दिल को सुबहो शाम किसका था ,
श़ुक्रिया !