ईश्वर से प्रार्थना की जा सकती है तो की भी जा रही है, और अपने से बन पडा लोगों ने किया, लेकिन जीवन जीने के लिए बाहर जाना और चुनौतियां स्वीकारना अनिवार्य हो गया है, घर पर रह कर दैनिक दिनचर्या की जरूरत का प्रबंध नहीं हो रहा था!बस जीने की चाह में मरने का जोखिम लिए घुम रहे हैं।
ईश्वर से प्रार्थना की जा सकती है तो की भी जा रही है, और अपने से बन पडा लोगों ने किया, लेकिन जीवन जीने के लिए बाहर जाना और चुनौतियां स्वीकारना अनिवार्य हो गया है, घर पर रह कर दैनिक दिनचर्या की जरूरत का प्रबंध नहीं हो रहा था!बस जीने की चाह में मरने का जोखिम लिए घुम रहे हैं।