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हर किसी को, हम अपना बना लेते हैं
दर्द दिलों के,अल्फाज़ों में सजा लेते हैं
बना लेते हैं आशियाना रूहानी मोहब्बत में ‘देव’
हसरतों की सरगोशियों से, दामन बचा लेते हैं
हार्दिक अभिनन्दन जी ??

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