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मेरा काला गोगल
देख कर
मेरा उभरा हुआ रौद्र देख कर
डॉन ना समझना मुझे
मेरे अंदर भी
डॉन सी मोहब्बत वसती है
कवि की भाषा में
निकलती है ।

।। माफ करना ।।

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10 Dec 2020 08:34 PM

लेखन मेरी जान है, चाहे जमाने में कम पहचान है, मिलता रहे मां का सभी को आशीष, यही मेरी कामना है !!! धन्यवाद!!!

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