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अतिसुंदर !

आपकी प्रस्तुति से मुझे कवि नीरज की कविता की पंक्तियां याद आ गईंं प्रस्तुत कर रहा हूं :

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ ,
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ ,

दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ ,

धन्यवाद !

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9 Dec 2020 11:18 AM

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय ??

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