RAJU QURESHI
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5 Dec 2020 03:28 PM
Wahh wahh, so nice, शुक्रिया जी, aap bhut acha likhte ho
वो जो मेरे दिल के करीब था।
देवता नहीं मेरा सलीब था।
हाथ तो मेरा पकड़े हुए था-
पर नजरों में उसका रकीब था ।
इस तरह से लिखों तुम्हारे भावों को मैंने मुक्तक का रूप दे दिया है