Shyam Sundar Subramanian
Author
2 Dec 2020 03:37 PM
प्रोत्साहन का साधुवाद !
भावनाओं का प्रकटिकरण और उसका सृजन यह सब तभी संभव है जब हृदय केअंदर से भाव पैदा होते हैं और शायद उसी की परिणति इस रचना में परिलक्षित होती है! सादर अभिवादन श्रीमान श्याम सुंदर जी।