Shyam Sundar Subramanian
Author
23 Oct 2021 10:39 AM
धन्यवाद !
कवि हृदय! मनुष्य अपने आसपास जो महसूस करता है, अपने आप में जो अनुभूति होती है, उसे कह कर,लिख कर तो व्यक्त करके अंन्य के साथ साझा कर लेता है किन्तु इसके अतिरिक्त वह स्वयं में ही हंस कर,रो कर, मुस्कुरा कर,आल्हादित होकर, कुंठित होकर, मायूस होकर, विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्त करता है लेकिन वह चिर स्थाई नहीं रहता, अपितु लिख कर उसे संरक्षित रखने का उपक्रम जरुर कर लेता है,सादर अभिवादन श्रीमान श्याम सुंदर जी।