हस़रत थी ज़िंदगी गुलशन -ए-बहार सी मिले , नसीब़ में लिखे खिजाँँ -ओ- ख़ार ही मिले , ज़िंदगी भर तलाशता रहा दोस्त कोई मिले , जो भी मिले दोस्ती के नक़ाब में फ़रेबे यार मिले ,
श़ुक्रिया !
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श्रेष्ठ रचना
शुक्रिया इ
हस़रत थी ज़िंदगी गुलशन -ए-बहार सी मिले ,
नसीब़ में लिखे खिजाँँ -ओ- ख़ार ही मिले ,
ज़िंदगी भर तलाशता रहा दोस्त कोई मिले ,
जो भी मिले दोस्ती के नक़ाब में फ़रेबे यार मिले ,
श़ुक्रिया !