Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

जिंदगी भर हम सब्र करते रहे,
रोज जीते रहे रोज मरते रहे ,
अब तो लगता है जब सब्र की इंतहा होगी,
तब तक जिस्म़ से जान जुदा हो चुकी होगी ,

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...