Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

जिंदजी का अनुभव , साल दर साल घटना दर घटना मोती बनाकर लय की माला में पिरो दिए हैं ।

अगर गलत नही तो , ज्यादातर इसी अनुभव से ही गुजरते हैं । सायद जिंदगी का ये साँचा है जिसमे हर किसी को फिट होना होता है । इसके लिए कोई सीमा नही ।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
6 Oct 2020 02:24 PM

वर्तमान जीवन का कटु यथार्थ यही है।

धन्यवाद !

Loading...