Seema katoch
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20 Sep 2020 06:31 PM
Thanks ji
Thanks ji
बहुत खूब लाजवाब
जाने कहा से
चली आती है यादे ,
फिर ना जाने
कहा छुप जाती है।
खानाबदोश सी
भटकती रहती है।
इनका क्या
घर ठिकाना नही होता ।।
रचनाओ के गागर मे भावो का सागर भर शब्दो का सन्तुलन बनाने मे महारत हासिल है,इस कला का पुन: प्रभाव शाली प्रदर्शन एक शीतल बयार सा।
ऐसे ही साहित्य की लहरे बहती रहे