Mamta Singh Devaa
Author
6 Oct 2020 01:42 PM
बहुत खूब…हृदय से आभार ?
दिल में जब उल्फ़त का फूल खिला हो ,
तो ये ज़िंदगी खुश़नुमा गुलशन -ए- बहार लगती है ,
ग़र नफ़रत का ज़हर घुल जाए ,
तो ग़म से भरी खिज़ां -ओ – ख़ार लगती है ,
श़ुक्रिया !