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राहेंं अनजान सही , ग़र इरादे मज़बूत हों तो श़िद्दत -ए- सफ़र में कामय़ाबी की मंज़िल ख़ुद ब ख़ुद हासिल होती है ।

श़ुक्रिया !

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आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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