नोट बंदी पर सटीक टिप्पणी! और उसे लागू करवाने वालों पर व्यंग्य, एवं उस पर हा हा कार करने वालों के लिए सांप का बील में छुप जाने के बाद भी लाठी पीटते रहना? विनोद जी आप अपने नाम के अनुसार ही विनोद कर लेते हैं, और इस समय जब मनुष्य काफी घबराहट में है तब कुछ पल हास्य-व्यंग्य के द्वारा चेहरे पर मुस्कान लाई जाए!का अच्छा प्रयास है। बहुत स्नेह के साथ सादर।
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