Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

अकेला हूं मैं हमसफ़र ढूंढता हूं।
मोहब्ब़त कि मैं रहगुज़र ढूंढता हूं।
किसी को मैं शामो सहर ढूंढता हूं।
ये महकी हुई रात कितनी हंसी है।
मगर मेरे पहलू में कोई नहीं है।
तुझी को ओ मैं बेखबर ढूंढता हूं।
मेरे दिल में आजा निगाहों में आजा।
मोहब्बत की रंगीन राहों में आजा।
मोहब्बत भरी एक नजर ढूंढता हूं।
अकेला हूं मैं हमसफर ढूंढता हूं।
किधर जाऊं वीरान हैंं मेरी राहें।
किसी को ना अपना सकींं मेरी आहेंं।
मैं आहोंं में अपनी असर ढूंढता हूं।
अकेला हूं मैं हमसफर ढूंढता हूं।
मुझे याद करके कोई आंख रोए।
कोई मेरी खातिर रातों को ना सोए।
मोहब्ब़त को मैं दरबदर ढूंढता हूं।
अकेला हूं मैं हमसफर ढूंढता हूं।
मोहब्ब़त की मैं रहगुज़र ढूंढता हूं।

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...