ये
पंक्ति
कान की
झालर सी
या बारिश की
तिरछी बौछार
सी भिगो गई मन
या
फिर
तिरछे
नयनो से
शब्दों का वार
हृदय के पार
नव विधा प्रसार
यूँ
तुम
अपनी
प्रतिभा से
अचंभित तो
करती हो कई
बार ही लगातार
ये
कैसे
इतने
प्यारे से
प्रकार से
प्यार शब्द को
पंक्तिबद्ध कर
प्रदर्शित करा है
काव्य से मोहक चित्र बनाने की कला का तो ईश्वरीय वरदान तो था ही पर शब्दों के विन्यास से प्रेम के आरोह का चित्र खींचना एक अद्भुत अनुभूति है
प्रतिक्षा सार्थक हुई अद्वितीय कृति के सृजन का साक्षी होकर। अभी औऱ नए नए आयामों से परिचय होगा ऐसा विश्वास है
बहुत बहुत बधाई
ये
पंक्ति
कान की
झालर सी
या बारिश की
तिरछी बौछार
सी भिगो गई मन
या
फिर
तिरछे
नयनो से
शब्दों का वार
हृदय के पार
नव विधा प्रसार
यूँ
तुम
अपनी
प्रतिभा से
अचंभित तो
करती हो कई
बार ही लगातार
ये
कैसे
इतने
प्यारे से
प्रकार से
प्यार शब्द को
पंक्तिबद्ध कर
प्रदर्शित करा है
काव्य से मोहक चित्र बनाने की कला का तो ईश्वरीय वरदान तो था ही पर शब्दों के विन्यास से प्रेम के आरोह का चित्र खींचना एक अद्भुत अनुभूति है
प्रतिक्षा सार्थक हुई अद्वितीय कृति के सृजन का साक्षी होकर। अभी औऱ नए नए आयामों से परिचय होगा ऐसा विश्वास है
बहुत बहुत बधाई