जी सर कहीं न कहीं हमें माना ही पड़ेगा।मैं इस समय पक्षाघात के इलाज के बाद विश्राम कर रहा हूँ।विगत 18-19 से मेरा लेखन कार्य शून्य हो गया था परिस्थिति भले ही कुछ रही हो मगर अब ब पुनः सक्रिय हो रहा हूँ।ये ईश्वर की अपनी व्यवस्था ही तो कह सकता हूँ।शायद पक्षाघात पीड़ा में भी मेरी भलाई निहित है।अनेक पत्र पत्रिका में रचना का प्रकाशन भी हो रहा है।ये सब प्रभू की लीला ही है।मैं तो अपनी पत्नी को ईश्वर पर भरोसा रखने की हीबात कहता हूँ।जेहि विधि राखे राम वही विधि रहिए।
जी सर कहीं न कहीं हमें माना ही पड़ेगा।मैं इस समय पक्षाघात के इलाज के बाद विश्राम कर रहा हूँ।विगत 18-19 से मेरा लेखन कार्य शून्य हो गया था परिस्थिति भले ही कुछ रही हो मगर अब ब पुनः सक्रिय हो रहा हूँ।ये ईश्वर की अपनी व्यवस्था ही तो कह सकता हूँ।शायद पक्षाघात पीड़ा में भी मेरी भलाई निहित है।अनेक पत्र पत्रिका में रचना का प्रकाशन भी हो रहा है।ये सब प्रभू की लीला ही है।मैं तो अपनी पत्नी को ईश्वर पर भरोसा रखने की हीबात कहता हूँ।जेहि विधि राखे राम वही विधि रहिए।