आप की विचारधारा से मैं कुछ हद तक सहमत हूं कि दान एवं दया करने के लिए पात्र का चुनाव करना आवश्यक है भावनाओं में बहकर दान एवं दया करने से हम उस व्यक्ति विशेष को पंगु बना रहे हैं जिसने भिक्षा एवं दया को जीवन निर्वाह का साधन बना लिया है। दरअसल समाज में फैली भावनात्मक परंपराओं एवं धार्मिक विचारधाराओं मे दान एवं दया को अतिरेक में महत्व दिया गया है। जिसका लाभ उठाने के लिए एक विशेष वर्ग का निर्माण हुआ है जो मेहनत नहीं करना चाहता और अपने आप को दीन हीन प्रस्तुत कर इसका फायदा उठाना चाहता है।
हमारे देश में राजनीति के चलते वोट बैंक के लिए इस प्रकार के तत्वों को बढ़ावा दिया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य सस्ती पब्लिसिटी पाना है जिसे मीडिया में जोर शोर से प्रसारित किया जाता है।
हमारे देश में भिक्षाटन एक व्यवसाय के रूप में विकसित हुआ है। जिसमें अपराधिक तत्व शामिल है जो बच्चों का का अपहरण करके उन्हें भिक्षा मांगने के के लिए मजबूर करते हैं। एक बड़ी गंभीर समस्या है।
सर्वप्रथम हमें अपनी इस भावनात्मक मानसिकता को बदलना होगा । हम मदद के लिए पात्र एवं कुपात्र के अंतर को स्पष्ट करने के लिए प्रज्ञा शक्ति से निर्णय लेनेंं की आवश्यकता है। जिससे हमारी सहायता का उचित लाभ जरूरतमंदों को मिल सके।
आप की विचारधारा से मैं कुछ हद तक सहमत हूं कि दान एवं दया करने के लिए पात्र का चुनाव करना आवश्यक है भावनाओं में बहकर दान एवं दया करने से हम उस व्यक्ति विशेष को पंगु बना रहे हैं जिसने भिक्षा एवं दया को जीवन निर्वाह का साधन बना लिया है। दरअसल समाज में फैली भावनात्मक परंपराओं एवं धार्मिक विचारधाराओं मे दान एवं दया को अतिरेक में महत्व दिया गया है। जिसका लाभ उठाने के लिए एक विशेष वर्ग का निर्माण हुआ है जो मेहनत नहीं करना चाहता और अपने आप को दीन हीन प्रस्तुत कर इसका फायदा उठाना चाहता है।
हमारे देश में राजनीति के चलते वोट बैंक के लिए इस प्रकार के तत्वों को बढ़ावा दिया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य सस्ती पब्लिसिटी पाना है जिसे मीडिया में जोर शोर से प्रसारित किया जाता है।
हमारे देश में भिक्षाटन एक व्यवसाय के रूप में विकसित हुआ है। जिसमें अपराधिक तत्व शामिल है जो बच्चों का का अपहरण करके उन्हें भिक्षा मांगने के के लिए मजबूर करते हैं। एक बड़ी गंभीर समस्या है।
सर्वप्रथम हमें अपनी इस भावनात्मक मानसिकता को बदलना होगा । हम मदद के लिए पात्र एवं कुपात्र के अंतर को स्पष्ट करने के लिए प्रज्ञा शक्ति से निर्णय लेनेंं की आवश्यकता है। जिससे हमारी सहायता का उचित लाभ जरूरतमंदों को मिल सके।