सहो चाहे जमाने भर के ताने भी मगर फिर भी कही अपनों की चुभती बात छाला छोड़ देती है —
—
वाह वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहह बेहद उम्दा अनुपम चिंतन,,,, लेखनी को नमन !!
You must be logged in to post comments.
सहो चाहे जमाने भर के ताने भी मगर फिर भी
कही अपनों की चुभती बात छाला छोड़ देती है
—
—
वाह वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहह
बेहद उम्दा
अनुपम चिंतन,,,, लेखनी को नमन !!