23 Jul 2020 10:10 PM
Kshama sriman,
Mai apke vicharon se purnatah sahmat hu.
Yah kewal ek vyangyatmak soch hi jo teji se badalte huye samaj ko aaina dikhane ka prayas hi.
Yadi kisi ki bhavanaon ko thes pahunchi ho to mai punah kshama prarthi hu .
Dhanyawad
पिता के साथ इस प्रकार की सोच, हमारे समाज में, शायद ज्यादा ही अव्यवहारिक प्रतीत होती है, हां कहीं थोड़ी-बहुत समस्या भी रहती होंगी, किन्तु इतनी आतुरता से पिता की मृत्यु का आह्वान, तो वह भी नहीं करते, जिनके माता-पिता कोई पेंशन,फंड आदि भी नही पाते, फिर भी यदि आप ऐसा महसूस करते हैं तो हो सकता है आपने इसका अहसास किया होगा, मेरे लिए यह महसूस करना सहज नहीं है, मेरे विचार से असहमत हों,तो मुझे क्षमा करें सादर।