Amber Srivastava
Author
20 Jul 2020 10:48 AM
श़ुक्रिया
श़ुक्रिया
मैं ज़िंदगी का साथ साथ निभाता चला गया।
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।
बर्बादियों का सोग़ मनाना फिज़ूल था।
बर्बादियों का जश्ऩ मनाता चला गया।
श़ुक्रिया !